हनुमान जी हिन्दू धर्म में परमेश्वर की भक्ति की प्रमुख अवधारणाओं में से है। हनुमानजी रामायण के मुख्य पात्रों में से एक है तथा भगवान राम के परम भक्त है। हनुमान जी वानरों के राजा केसरी तथा माता अंजना के पुत्र थे। हनुमान चालिसा (Hanuman Chalisa) में अंजनी पुत्र के नाम से सम्बोधित किया गया है। हनुमान जी माता जानकी को अत्यन्त प्रीय है। हनुमानजी को बजरंगबली, पवनपुत्र, आंजनेय, मारूतिनंदन, केसरी नन्दन आदि नामों से भी जाना जाता है। कलियुग में जिन सात मनीषियों को अमरत्व का वरदान प्राप्त है, हनुमानजी भी उनमें से एक है।
ऐसा माना जाता है कि कलियुग में आज भी हनुमान जी धरती पर मौजूद है। हनुमान चालिसा (Hanuman Chalisa), जिसमें हनुमानजी की शक्तियों का वर्णन किया गया है, का पाठ करने से हनुमान जी अत्यन्त प्रसन्न होते है तथा मनचाहा फल देते हैं अतः हनुमान चालिसा (Hanuman Chalisa) का पाठ नियमित रूप से व्यक्ति को प्रतिदिन करना चाहिये । हनुमान चालिसा (Hanuman Chalisa) का पाठ करने के लिये ’राम दरबार’ वाली फोटो का प्रयोग करना चाहिये।

हनुमान चालिसा (Hanuman Chalisa) मुख्यतः अवधि भाषा में लिखी गयी काव्यकृति है। हनुमान चालिसा (Hanuman Chalisa) में हनुमान जी के गुणों एवं कार्यों का अत्यन्त सुन्दर वर्णन किया गया है। हनुमान जी के गुणों एवं कार्यो को अत्यन्त सुन्दर 40 छन्दों के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
हनुमान चालिसा (Hanuman Chalisa) हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिये उनके भक्तों द्वारा की जाने वाली प्रार्थना है जिसमें चालिस छन्द है इसलिये इसे हनुमान चालिसा के नाम से जाना जाता है। हनुमान चालिसा की रचना महाकवि तुलसीदास द्वारा की गयी थी जिसे अत्यन्त प्रभावकारी माना जाता है इसके नियमित वाचन से जीवन में भय से मुक्ति मिलती है व्यक्ति की हर मनोकामना पूर्ण होती है। अतः इसका हनुमान जी के समक्ष सदैव वाचन करना चाहिये।
हनुमान चालिसा (Hanuman Chalisa) में हनुमान जी शक्तियों एवं गुणों को वर्णन किया गया है। वैसे तो यह सभी हिन्दू धर्म मानने वालों को कण्ठस्थ होती है लेकिन यदि कण्ठस्थ नहीं है तो हनुमान चालिसा (Hanuman Chalisa) पोथी का प्रयोग भी किया जा सकता है। हिन्दूओं में यह बहुत लोकप्रीय मान्यता है कि हनुमान चालिसा (Hanuman Chalisa) का पाठ करने से व्यक्ति को संकटों से मुक्ति मिलती है, क्लेश मिटते है, एव्ंा सभी प्रकार के भय दूर होते है।
हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:
- स्नान और पूजा: हनुमान चालीसा का पाठ करने से पहले स्नान करें और भगवान हनुमान की पूजा करें।
- आसन और मुद्रा: एक स्वच्छ और शांत स्थान पर बैठें और अपने हाथों को जोड़कर भगवान हनुमान को नमस्कार करें।
- पाठ की तैयारी: हनुमान चालीसा की पुस्तक या मोबाइल ऐप खोलें और पाठ करने के लिए तैयार हो जाएं।
- पाठ करना: हनुमान चालीसा के 40 छंदों का पाठ करें। प्रत्येक छंद को धीरे-धीरे और स्पष्ट रूप से पढ़ें।
- अर्थ और भाव: पाठ करते समय प्रत्येक छंद के अर्थ और भाव को समझने का प्रयास करें।
- समाप्ति: पाठ समाप्त होने पर भगवान हनुमान को नमस्कार करें और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करें।
- आहार और दान: पाठ के बाद भगवान हनुमान को आहार और दान अर्पित करें।
हनुमान चालीसा के पाठ के लिए शुभ मुहूर्त
- सुबह 6:00 बजे से 8:00 बजे तक
- दोपहर 12:00 बजे से 2:00 बजे तक
- शाम 6:00 बजे से 8:00 बजे तक
हनुमान चालीसा के पाठ के लिए आवश्यक सामग्री
- हनुमान चालीसा की पुस्तक
- भगवान हनुमान की मूर्ति या चित्र
- पूजा के लिए आवश्यक सामग्री (जैसे कि दीया, अगरबत्ती, फूल आदि)
मंगलवार और शनीवार को हनुमान चालिसा (Hanuman Chalisa) के पाठ का अत्यन्त महत्व बताया गया है। हनुमान चालिसा (Hanuman Chalisa) का पाठ करने से शनि की कृपा प्राप्त होती है। शनि दोष से मुक्ति पाने के लिये हनुमान जी की भक्ति की जाती है।
महाकवि तुलसीदास द्वारा रचित हनुमान चालिसा इस प्रकार है-
Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi
श्री हनुमान चालीसा – जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
॥ दोहा ॥
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार॥
॥ चौपाई ॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर॥
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा॥
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै॥
शंकर सुवन केसरी नंदन।।
तेज प्रताप महा जगवंदन॥
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे॥
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा॥
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना॥
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना॥
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै ।।
महावीर जब नाम सुनावै ॥
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा॥
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै॥
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै॥
अंतकाल रघुवरपुर जाई ।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई॥
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई॥
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मह डेरा॥
॥ दोहा ॥
पवन तनय संकट हरन मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप॥