कर्ज से मुक्ति और आर्थिक समृद्धि में वृद्धि होती है मां लक्ष्मी की नियमित आरती करने से

आरती एक हिंदू धार्मिक अनुष्ठान है, जो पूजा का एक हिस्सा है, जिसमें घी या कपूर में भिगोई हुई बत्ती से एक या अधिक देवताओं को प्रकाश अर्पित किया जाता है। आरती से तात्पर्य देवता की स्तुति में गाए जाने वाले गीतों से भी है, जब दीपक अर्पित किए जाते हैं।

ओम जय लक्ष्मी माता – लक्ष्मी आरती एक आध्यात्मिक गीत है जो धन की देवी माँ लक्ष्मी की प्रशंसा में गाया जाता है, जो देवी अंबे के कई अवतारों में से एक है । भक्त भगवान विष्णु की अर्धांगिनी माता लक्ष्मी देवी को प्रसन्न करने के लिए इस आरती का जाप करते हैं जो उन्हें अपना आशीर्वाद प्रदान करती है। कहा जाता है कि इस आरती का जाप करने से समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है। एक पुरानी परंपरा के अनुसार, दिवाली के दौरान, लोग देवी को अपने घरों में आमंत्रित करने और उन्हें प्यार और समृद्धि का आशीर्वाद देने के लिए अपने घरों के बाहर तेल के दीपक जलाते हैं। लक्ष्मी का आह्वान भक्तजन साप्ताहिक दिन शुक्रवार, गुरुवार, वैभव लक्ष्मी व्रत तथा दीपावली में लक्ष्मी पूजन के दिन मुख्यतया अधिक करते हैं

लक्ष्मी जी की आरती करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

तैयारी

  1. स्नान और पूजा: लक्ष्मी जी की आरती करने से पहले स्नान करें और पूजा के लिए तैयार हो जाएं।
  2. पूजा स्थल: एक स्वच्छ और शांत स्थान पर पूजा के लिए बैठें।
  3. पूजा सामग्री: लक्ष्मी जी की पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे कि दीया, अगरबत्ती, फूल, और प्रसाद का आयोजन करें।

आरती

  1. आरती की शुरुआत: लक्ष्मी जी की आरती की शुरुआत करने से पहले अपने हाथों को जोड़कर भगवान को नमस्कार करें।
  2. आरती का पाठ: लक्ष्मी जी की आरती का पाठ करें। आरती के दौरान अपने हाथों को जोड़कर और अपने मन को एकाग्र करके भगवान की स्तुति करें।
  3. आरती का समापन: आरती के समापन पर अपने हाथों को जोड़कर भगवान को नमस्कार करें और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करें।
Aarti Lakshmi ji ki (आरती लक्ष्मी जी की)