राजस्थानी भजन – संगत करोनी निर्मळ साद री म्हारी हेली

संगत करोनी निर्मळ साद री म्हारी हेली
हे जासूँ, आवागमन मिट जाय … (२)

चन्दन उग्यो हरिए बाग़ में म्हारी हेली
ख़ुशी भई वनराई .. (२)
चन्दन सुगंध औरों ने करे म्हारी हेली .. (२)
रही सुगंधी छायं .. (२)

पर्वत उग्यो हरियो बाँसडो म्हारी हेली
धूज रही वनराई … (२)
आप जळे संग औरों ने जाळे हेली .. (२)
कपट गाँठ घाट म्हायं … (२)

धुं लागी दावा डुन्गरा म्हारी हेली … (२)
मिल गयी जाळो जाळ … (२)
और पंखेरू सब उड़ गया म्हारी हेली … (२)
हंस रह्या बैठा डाळ … (२)

चन्दन हंस मुख बोलिया म्हारी हेली … (२)
थे क्योँ जळो हंस राय … (२)
मैं तो jalo बिन पांखियाँ म्हारी हेली … (२)
हे म्हारी जड़ों है पताळो रे म्हाय … (२)

हळखाया पात तोडिया म्हारी हेली
रमिया डाळो डाळ … (२)
थे तो जळो भेळा मैं ही जळो म्हारी हेली … (२)
जीवणों कितीएक वार … (२)

चन्दन हंस प्रीत देखियो म्हारी हेली …(२)
झिरमिर वर्षया मेह … (२)
कहेत कबीर धर्मिदास ने म्हारी हेली … (२)
नित नित नवला नेह .. (२)

संगत करोनी निर्मळ साद री म्हारी हेली
हे जासूँ, आवागमन मिट जाय … (२)