बहुत पुराने समय की बात है । एक गांव में रहमान चाचा रहते थे। मकान टूटा-फूटा था। रहमान चाचा के यहां एक चूहा भी बिल बनाकर रहता था। रहमान चाचा प्रायः घर का राशन लेने शहर जाते थे। एक दिन रहमान चाचा हमेशा की तरह शहर से राशन लेकर लौटे। राशन में बिस्कुट का पैकेट निकला देख कर चूहे के मूंह में पानी आ गया। लेकिन दूसरे ही क्षण उसके पैरों तले जमीन खिसक गयी जब उसने देखा रहमान चाचा बाकि सामान के साथ एक चूहेदानी भी खरीद कर लायें है। चूहा अत्यन्त चिन्तित हो गया।
चूहा फ़ौरन भाग कर मुंडेर पर बैठे कबूतर के पास गया और घबड़ा कर कहने लगा– “यार, आज बड़ी गड़बड़ हो गई है, चाचा मुझे मारने के लिए चूहे दानी लेकर आये हैं, मेरी मदद करो किसी तरह इस चूहेदानी को यहाँ से गायब करवा दो.”
कबूतर मुस्कुराया और बोला, “पागल हो गया है क्या, भला मुझे चूहेदानी से क्या खतरा है, मैं इस चक्कर में नहीं पड़ने वाला. ये तेरी समस्या है तू ही निपट.”
चूहा और भी निराश हो गया और भागा भागा हांफता हुआ मुर्गो के पास पहुंचा, “भाई मेरी मदद करो, चाचा मुझे पकड़ने के लिए चूहेदानी लेकर आये हैं किसी तरह इस चूहेदानी को यहाँ से गायब करवा दो.”
मुर्गे दाना चुगने में मस्त थे. चूहे से कन्नी काटते हुए बोले, “अभी हमारा खाने का टाइम है, तू बाद में आना, वैसे भी हमें चूहेदानी से क्या खतरा है.”
अब चूहा भागा-भागा बकरे के पास पहुंचा और अपनी समस्या बताई और कहा किसी तरह चुनेदानी गायब करवा दो. बकरा जोर-जोर से हंसने लगा, “तू पागल हो गया है, चूहेदानी से तुझे खतरा है मुझे नहीं. और तेरी मदद करने से मुझे क्या फ़ायदा होगा I मैं कोई शेर तो हूँ नहीं जो किसी दिन शिकारी मुझे जाल में फंसा लेगा और तू मेरा जाल कुतर कर मेरी जान बचा लेगा!” और ऐसा कह कर बकरा जोर-जोर से हंसने लगा. बेचारा चूहा उदास मन से अपने बिल में वापस चला गया.
रात हो चुकी थी, चाचा और उनका परिवार खा-पीकर सोने की तैयारी कर रहे थे तभी खटाक की आवाज़ आई. सभी को लगा कि कोई चूहा पकड़ा गया है. चाचा की छोटी बिटिया दौड़कर चूहेदानी की ओर भागी. कबूतर, मुर्गे और बकरे को भी लगा कि आदत से मजबूर चूहा खाने की लालच में मारा गया और पकड़ा गया है.
लड़की पलंग के नीचे हाथ डालकर चूहेदानी खींचने लगी, तभी चुनेदानी से हिस्स की आवाज़ आयी…. ये क्या चूहेदानी में चूहा नहीं बल्कि एक ज़हरीला सांप फंस गया था और उसने बिजली की गति से फूंफकार मारते हुए रहमान चाचा की बिटिया को डस लिया था.
बिटिया की चीख सुन सब वहां इकठ्ठा हो गए. रहमान चाचा भागे-भागे पड़ोस में रहने वाले ओझा के यहाँ गए. ओझा ने कुछ तंत्र-मन्त्र किया और बिटिया के हाथ पर एक लेप लगाते हुए बोले, बच्ची अभी खतरे से बाहर नहीं है, मुझे फ़ौरन कबूतर का कंठ लाकर दो मैं उसे उबालकर एक घोल तैयार करूँगा जिसे पीकर यह पूरी तरह स्वस्थ हो जायेगी. ये सुनते ही रहमान चाचा कबूतर को पकड़ लाये. ओझा ने बिना देरी किये कबूतर का काम तमाम कर दिया. बिटिया की हालत सुधरने लगी.
अगले दिन कई नाते-रिश्तेदार बिटिया का हाल-चाल जानने के लिए इकट्ठा हो गए. चाचा भी बिटिया की जान बचने से खुश थे और इसी ख़ुशी में उन्होंने सभी को मुर्गा खिलाने का विचार किया. कुछ ही घंटों में मुर्गे का भी काम तमाम हो गया. रहमान चाचा ने मुर्गा पका कर महमानों को खिला दिया.
ये सब देख कर बकरा भी काफी डरा हुआ था पर जब सभी मेहमान चले गए तो वो भी बेफिक्र हो गया. पर उसकी ये बेफिक्री अधिक देर तक नहीं रह पाई. चाची ने रहमान चाचा से कहा, “अल्लाह की मेहरबानी से आज बिटिया हम सबके बीच है, जब सांप ने काटा था तभी मैंने मन्नत मांग ली थी कि अगर बिटिया सही-सलामत बच गई तो हम बकरे की कुर्बानी देंगे. आप आज ही हमारे बकरे को कुर्बान कर दीजिये. इस तरह कबूतर, मुर्गे और बकरा तीनो मारे गए और चूहा अभी भी सही-सलामत था.
शिक्षा:- जब हमारा मित्र या पडोसी मुसीबत में हो तो हमें उसकी मदद करने की भरसक कोशिश ज़रूर करनी चाहिए. किसी समस्या को दूसरे की समस्या मान कर आँखें मूँद लेना हमें भी मुसीबत में डाल सकता है. इसलिए मुश्किल में पड़े मित्रों की मदद ज़रूर करें, ऐसा करके आप कहीं न कहीं खुद की ही मदद करेंगे.